Odia Medium Class 6 Hindi Chapter 20 Veer Surendrasay ( वीर सुरेंद्रसाय ) Notes

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Odia Medium Class 6 Hindi Chapter 20 Veer Surendrasay ( वीर सुरेंद्रसाय ) Notes

वीर सुरेंद्रसाय


संबलपुर के पास एक गाँव है खिंडा | वहाँ राजघराने के कुछ लोग रहते थे | उनके बच्चे बड़े साहसी थे | खेल – खेल में समरकला सीख लेते थे | वे तलवार भाला धनुष बाण आदि अच्छी तरह चला लेते थे |    

 

उनमें से एक लड़का बहुत ही होनहार था | सभी लड़के उसको अपना नेता मानते थे | उसका निशाना सबसे तेज और अचूक था | यह लड़का था सुरेंद्रसाय |


     एक बच्चे ने उससे पूछा – “सुरें चच्चा ! गोरी पलटन के पास बंदूकें मिलों तक आग उगलती हैं | ऐसे में तुम्हारे य् बाण क्या काम आयेंगे ?”


सुरेंद्रसाय ने अपने भतीजे से कहा , “ हमारे बाण तोपों से भी तेज है, हमारे दिलों में प्रेम कि उज्वल आम है | वह हमारे बाणों के फलकों में बैठकर दुशमनों को जला देगी |


बच्चे बड़े हुए | तब एक घटना घटी | संबलपुर के राजा के कोई बेटा नहीं था | अंग्रेज शासकों ने उनका पोष्यपुत्र ग्रहण करने का अधिकार छिन लिया |


सुरेन्द्रसाए राजघराने के निकट संबधि थे | लेकिन अंग्रेजों ने किसी और को राजा बनाया | धीरे – धीरे उनका अत्याचार बढ़ा |सुरेन्द्र ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा बनाया | गाँव गाँव में घूमकर लड़ाकू जवानों को एकजुट किया और जहाँ – तहाँ अंग्रेजों से मुकाबला करना शुरू कर दिया | सुरेन्द्र के साथी अपूर्व वीरता के साथ लड़ते रहे | अंग्रेज उन्हें हराने में नाकामयाब रहे |


फिर उन्होंने कपट का रास्ता अपनाया और सुरेन्द्रसाए को गिरफ्तार कर लिया | वे जेल भेज दिये गये | सुरेन्द्र तीन साल बाद जेल से छूटे | अंग्रेजों ने उन्हें फिर से पकड़ लिया क्यों कि उन्हें डर था कि वे फिर से आंदोलन छोड़ दें तो क्या होगावे जेल में अठारह साल रहे | ऐसे देश प्रेमी वीर का जेल में निधन हो गया |




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